इंजीनियरिंग में कितने सब्जेक्ट होतें हैं | Engineering me Kitne Subject Hote hai

Engineering me Kitne Subject Hote hai: इंजीनियरिंग एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें विज्ञान, तकनीकी और प्रयोगात्मक ज्ञान के माध्यम से समस्याओं का हल और नई चीजों का आविष्कार किया जाता है। इंजीनियर बनना कई छात्रों का सपना होता है, लेकिन अक्सर उन्हें शुरुआत में इस क्षेत्र की अधिक जानकारी न होने के कारण कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस लेख में, हम आपको इंजीनियरिंग से जुड़ी हर एक जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे आप इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने का निर्णय बेहतर तरीके से ले सकें।

इंजीनियरिंग के लिए योग्यता

इंजीनियरिंग करने के दो विकल्प होते हैं जिसमें पहला, आप डिप्लोमा से इंजीनियरिंग कर सकते हैं और दूसरा, बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी यानी B.Tech से। यदि आप डिप्लोमा से इंजीनियरिंग करना चाहते हैं तो आपको हाई स्कूल में विज्ञान विषयों के साथ उत्तीर्ण होना होगा और यदि आप 12वीं के बाद डिप्लोमा करना चाहते हैं तो यह कोर्स 2 साल का होता है, जिसमें आपको डिप्लोमा सेकंड ईयर में लैटरल एंट्री मिलती है।

वहीं, B.Tech के लिए 12वीं में आपको फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ विषयों के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है। यदि आप डिप्लोमा करके B.Tech करना चाहते हैं, तो आपको B.Tech सेकंड ईयर में लैटरल एंट्री मिलती है।

कॉलेज का चयन

इंजीनियरिंग करने के लिए एक बेहतर कॉलेज का चयन करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। आप सरकारी व प्राइवेट कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सकते हैं।

सरकारी कॉलेज: यदि आप सरकारी कॉलेज से इंजीनियरिंग करना चाहते हैं, तो आपको इसके लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर होने वाली विभिन्न प्रवेश परीक्षाएं देनी होती है। राज्य स्तर पर डिप्लोमा के लिए JEECUP (उत्तर प्रदेश), DCECE (बिहार), CET Delhi (दिल्ली), JEXPO (पश्चिम बंगाल) जैसी विभिन्न प्रवेश परीक्षाएं होती हैं। वहीं, बीटेक के लिए IIT JEE Main, IIT Advanced और राज्य स्तर की परीक्षाएं जैसे UPSEE, WBJEE, VITEEE, MHT-CET, COMEDK UGET की प्रवेश परीक्षाएं देनी होती है।

प्राइवेट कॉलेज: प्राइवेट कॉलेज से इंजीनियरिंग करने के लिए आपको किसी भी प्रकार का एंट्रेंस एग्जाम नहीं देना होता। प्राइवेट कॉलेज में आप डायरेक्ट एडमिशन ले सकते हैं। इसके अलावा, यदि आपने सरकारी कॉलेज के लिए एंट्रेंस एग्जाम दिया है और आपकी रैंक सरकारी कॉलेज में दाखिला के लिए पर्याप्त नहीं है तो आपको काउंसलिंग के माध्यम से प्राइवेट कॉलेज प्रोवाइड कराया है। हलांकि, इसमें यह सुनिश्चित नहीं होता है कि आपके द्वारा चुनी गई ब्रांच ही मिले।

इंजीनियरिंग की फीस कितनी होती है

सरकारी कॉलेज: सरकारी कॉलेजों में डिप्लोमा की फीस अमूमन 12,000 से 30,000 रूपए प्रति वर्ष होती है। वहीं, राज्य स्तर पर बीटेक की फीस 20 से 80 हजार रुपए के बीच हो सकती है और IIT की बात करें तो सालाना 2.5 लाख से 3 लाख तक हो सकती है।

प्राइवेट कॉलेज : प्राइवेट कॉलेजों में डिप्लोमा की फीस 40,000 से 1,50,000 रूपए तक हो सकती है। वहीं,  बीटेक की फीस 1,20,000 से 3,00,000 लाख प्रति वर्ष हो सकती है। यह कॉलेज की प्रतिष्ठा और सुविधाओं पर निर्भर करती हैं।

Engineering Me Kon Kon se Subject Hote Hai

इंजीनियरिंग में कितने विषय होते हैं, अक्सर यह सवाल छात्रों के मन में आता है। आपको बता दें कि इंजीनियरिंग में कई ब्रांच होती हैं और इन ब्रांचों में अलग-अलग विषय पढ़ाए जाते हैं। कुछ लोकप्रिय ब्रांच इस प्रकार हैं- सिविल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी।

पहले वर्ष में लगभग सभी ब्रांचों में कॉमन विषय पढ़ाएं जाते हैं। कुछ कॉमन विषय इस प्रकार हैं-

  • गणित (Mathematics)
  • भौतिकी (Physics)
  • रसायन विज्ञान (Chemistry)
  • बेसिक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Basic Electrical Engineering)
  • बेसिक मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Basic Mechanical Engineering)
  • कंप्यूटर प्रोग्रामिंग (Computer Programming)
  • प्रोफेशनल कम्युनिकेशन (Professional Communication)
  • एनवायरनमेंट स्टडी (Environmental Studies)

इसके बाद, दूसरे वर्ष से छात्रों को उनके ब्रांच के अनुसार कोर विषय पढ़ाए जाते हैं।

कुछ मुख्य कोर सब्जेक्ट इस प्रकार हैं-

सिविल इंजीनियरिंग

  • बिल्डिंग मटेरियल्स (Building Materials)
  • मैथमेटिक्स (Mathematics)
  • जियोलॉजी (Geology)
  • वाटर रिसोर्स मैनजमेंट (Water Resources Management)
  • रोड एंड ब्रिज डिजाइन (Road and Bridge Design)
  • एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग (Environmental Engineering)
  • लैंड सर्वेइंग (Land Surveying)
  • स्ट्रक्चरल एनालिसिस (Structural Analysis)

मैकेनिकल इंजीनियरिंग

  • थर्मोडायनामिक्स (Thermodynamics)
  • मैकेनिक्स (Mechanics)
  • मैटेरियल्स साइंस (Materials Science)
  • फ्लूइड मेकानिक्स (Fluid Mechanics)
  • ड्राफ्टिंग एंड डिज़ाइन (Drafting and Design)
  • मशीन डाइनामिक्स (Machine Dynamics)
  • मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस (Manufacturing Process)
  • कंट्रोल सिस्टम (Control Systems)
  • स्ट्रक्चरल एनालिसिस (Structural Analysis)

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग

  • सर्किट थ्योरी (Circuit Theory)
  • इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics)
  • सिग्नल एंड सिस्टम्स (Signal and Systems)
  • पावर सिस्टम्स (Power Systems)
  • माइक्रोकंट्रोलर्स (Microcontrollers)
  • इलेक्ट्रिकल मशीन (Electrical Machines)
  • कंट्रोल सिस्टम (Control Systems)
  • डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स (Digital Electronics)
  • प्रोफेशनल एथिक्स (Professional Ethics)

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग

  • प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज (Programming Languages)
  • डाटा स्ट्रक्चर (Data Structures)
  • अल्गोरिदम (Algorithms)
  • डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (Database Management Systems)
  • ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating Systems)
  • नेटवर्किंग (Networking)
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग (Software Engineering)
  • वेब डेवलपमेंट (Web Development)
  • कम्यूटर आर्किटेक्चर (Computer Architecture)

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग

  • सर्किट एनालिसिस (Circuit Analysis)
  • सिग्नल एंड सिस्टम्स (Signal and Systems)
  • डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स (Digital Electronics)
  • एनालॉग इलेक्ट्रॉनिक्स (Analog Electronics)
  • कम्युनिकेशन सिस्टम्स (Communication Systems)
  • डाटा कम्युनिकेशन (Data Communication)
  • माइक्रोप्रोसेसर्स (Microprocessors)
  • कंट्रोल सिस्टम (Control Systems)
  • इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस एंड सर्किट्स (Electronic Devices and Circuits)

इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी

  • प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज (Programming Languages)
  • डाटा स्ट्रक्चर (Data Structures)
  • डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (Database Management Systems)
  • ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating Systems)
  • नेटवर्किंग (Networking)
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग (Software Engineering)
  • वेब डेवलपमेंट (Web Development)
  • साइबर सिक्योरिटी (Cyber Security)
  • कम्यूटर नेटवर्क्स (Computer Networks)

इंजीनियरिंग के बाद करियर की संभावनाएं

जैसा कि हमने बताया इंजीनियरिंग में कई ब्रांच होती है। आपने जिस भी ब्रांच से इंजीनियरिंग की है उसके मुताबिक आपको काम करना होता है।

सिविल इंजीनियरिंग (CE)-  कंस्ट्रक्शन कंपनियों, सर्वेयर, स्ट्रक्चरल डिजाइनर, साइट इंजीनियर, इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट, सरकारी संस्थानों जैसे PWD, CPWD और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों जैसे NBCC और DDA सेक्टर में जा सकते है। छात्र प्रोजेक्ट इंजीनियर, साइट इंजीनियर, डिजाइन इंजीनियर, क्वालिटी कंट्रोल इंजीनियर, कंसल्टेंट, जल संसाधन इंजीनियर जैसे पदों पर कम कर सकते हैं।

मैकेनिकल इंजीनियरिंग (ME) – मैकेनिकल इंजीनियरिंग के बाद छात्रों के पास करियर के कई अवसर होते हैं। छात्र ऑटोमोटिव इंडस्ट्री, विमानन, पावर प्लांट, मैन्युफैक्चरिंग, रोबोटिक्स, HVAC, सरकारी संस्थानों जैसे रेलवे, ISRO, DRDO और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs) जैसे BHEL, ONGC और NTPC जैसे सेक्टर्स में जा सकते हैं। छात्र प्रोडक्शन इंजीनियर, डिजाइन इंजीनियर, क्वालिटी इंजीनियर और रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंजीनियर जैसे पदों पर काम कर सकते हैं।

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (CSE) – कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के बाद छात्र सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, वेब डेवलपमेंट और मोबाइल एप्लिकेशन डेवलपमेंट, डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और साइबर सुरक्षा जैसे सेक्टर्स में जा सकते हैं। इसके अलावा, सरकारी संस्थानों में भी करियर के कई अवसर होते हैं। छात्र सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सिस्टम एनालिस्ट, डेटा साइंटिस्ट, नेटवर्क इंजीनियर पदों पर काम कर सकते हैं।

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग(EE) – इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के बाद छात्र टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर, पावर सेक्टर, रिन्युएबल एनर्जी, मैन्युफैक्चरिंग और इंडस्ट्रियल जैसे सेक्टर में जा सकते है। इसमें वह नेटवर्क इंजीनियर, टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम इंजीनियर, पावर सिस्टम इंजीनियर, इलेक्ट्रिकल प्रोजेक्ट इंजीनियर, सिस्टम एनालिस्ट और नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर आदि पदों पर काम कर सकते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (ECE) – इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के बाद छात्रों के पास करियर के विकल्प होते हैं। वह टेलीकॉम, आईटी, मैन्युफैक्चरिंग और रिसर्च जैसे सेक्टर्स में जा सकते हैं। जहां नेटवर्क इंजीनियर, सिस्टम एनालिस्ट और कम्युनिकेशन ऑफिसर जैसे पद पर काम कर सकते हैं। इसके अलावा, सरकारी संस्थानों जैसे BSNL, ISRO, DRDO और रेलवे में भी अपना करियर बना सकते हैं।

इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (IT) – इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी के बाद छात्र सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, नेटवर्किंग, साइबर सिक्योरिटी, डेटा एनालिसिस और सिस्टम एनालिसिस जैसे क्षेत्रों में जा सकते हैं। छात्र सॉफ्टवेयर इंजीनियर, नेटवर्क इंजीनियर, सिस्टम एनालिस्ट, डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर और IT कंसल्टेंट को तौर पर काम कर सकते हैं।

FAQs – Engineering Me Kitne Subject Hote Hai

Question : Engineering में कितने सब्जेक्ट होते हैं?

Answer – इंजीनियरिंग में अलग-अलग ब्रांच होते हैं और हर ब्रांच के अनुसार सब्जेक्ट भी अलग-अलग होते हैं। हालांकि, पहले वर्ष में सभी ब्रांच में कॉमन विषय होते हैं कुछ कॉमन विषय इस प्रकार हैं- गणित, भौतिकी, रसायन विज्ञान, बेसिक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, बेसिक मैकेनिकल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, प्रोफेशनल कम्युनिकेशन और एनवायरनमेंट स्टडी जैसे सामान्य विषय होते हैं।

Question : इंजीनियरिंग में क्या-क्या बन सकते हैं?

Answer – इंजीनियरिंग पूरा करने के बाद आप अपने ब्रांच के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में काम कर सकते हैं

निष्कर्ष :

दोस्तों इस लेख में मैंने आपको engineering me kitne subject hote hai के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी है। यदि आपके पास सब्जेक्ट से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो आप हमें कमेंट के माध्यम से जरूर पूछें। यह लेख को अपने दोस्तों को भी शेयर करें ताकि उन्हें इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सके। हमारा यह लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद।

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